प्रथम मिलन अर्थात सेक्स से शरमाइए नहीं कुछ जानिये
प्रकृति ने इंसान में ही नहीं, बल्कि समस्त जीव-जंतुओं में दो प्रकार की भूख विकसित की हुई है जिसमें एक पेट की भूख होती है, और दूसरी सेक्स की। पेट की भूख तो जरुरत के अनुसार भोजन करने से शांत हो जाती है, लेकिन सेक्स की भूख यदि सही तकनीक से पूरी न की जाय तो इंसान अतृप्त और बेचैन रहता है और इधर-उधर के चक्करों में पडकर तथा बाजारू सेक्स टॉनिक व कैप्सूल इस्तेमाल करके अपनी वास्तविक पौरुष शक्ति की दुर्दशा कर लेता है। सबसे पहले तो यह जान लेना चाहिए कि स्त्री एवं पुरुष के बीच सेक्स का मिलन कोई युद्ध या प्रतियोगिता नहीं होता, बल्कि पुरुष के तन से स्त्री के मन को मिलाने की एक कला होती है। जो शादी के बाद सुहागरात से ही शुरू हो जाती है। इस कला या तकनीक में ज़रा सी चूक भी पूरी जिंदगी के लिए दुःखद वातावरण तैयार कर देती है।
कुछ नौजवान दोस्तों के बहकावे में आकर प्रथम मिलन के समय अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए पत्नी की इच्छा या कष्ट जाने बिना उल्टे-सीधे तरीके से सिर्फ अपना वीर्य उड़ेलते हैं। ऐसा व्यवहार सेक्स मिलन नहीं कहलाता बल्कि बलात्कार कहलाता है। उल्टे-सीधे तरीके से की गई सेक्स क्रिया द्वारा पत्नी को मानसिक व शारीरिक कष्ट ही मिलता है तथा उसके मन-मस्तिष्क पर सेक्स के प्रति नफरत व अरुचि ही पैदा होती है। सफल सेक्स क्रिया वही होती है जिसमें पति-पत्नी को मिलन के मनचाहे सुख-आनंद के साथ पूरी संतुष्टि व खुशी प्राप्त हो सके। पत्नी शादी के बाद अपने बहुत सारे गहरे रिश्तों को छोड़कर पति की जीवन संगिनी बनती है। पत्नी का मन जीतने के लिए सबसे पहले पति को उसकी सुंदरता व व्यक्तित्व की तारीफ़ जरूर करनी चाहिए। आमतौर पर स्त्रियां सेक्स के लिए अपने मुंह से नहीं कहती, लेकिन रूप-रंग व सुंदरता की प्रशंसा सुनते ही उनके चेहरे की भाषा बदल जाती है। आँखों में गुलाबीपन आ जाता है, चेहरा दमकने लगता है। पत्नी की ऐसी स्थिति में ही आप उसकी समर्पण भावना को पहचान सकते हैं।
हो सकता हैं कि सेक्स के समय पत्नी कमरे में रौशनी न चाहे या आपके सामने पूरी नग्न होने से हिचकिचाहट दिखाए तो ऐसी हालत में आप वही मानें जो आपकी पत्नी की इच्छा के अनुरूप हो। सेक्स चाहे पहली बार कर रहे हों या हजारवीं बार पत्नी के पास आते ही तुरंत सेक्स की शुरुआत न करें, बल्कि सेक्स से पहले उसके कानों में रूमानी बातें करके उसके रूप-गुणों की तारीफ करते हुए स्पर्श व आलिंगन करें तथा कंधो, स्तनों व अन्य संवेदनशील अंगों को धीरे-धीरे प्रेम भरी बातों से सहलाएं और दबाएं। सीधे ही सेक्स कर स्खलित होकर परे खिसक जाना अधूरा सेक्स कहलाता है। ऐसा सेक्स स्त्री पसंद नहीं करती। स्पर्श-आलिंगन व अन्य प्रेम क्रीड़ाओं के बाद बिना किसी हड़बड़ी के धीरे धीरे सेक्स आरंभ करें। जब तक रति क्रिया की अवस्था में रहें चुंबन व स्तन मर्दन के साथ प्यार भरी बातों का सिलसिला भी जारी रखें और अपने घर्षण की रफ़्तार भी धीमी रखकर गहरी-गहरी साँसे लें। यदि पत्नी के मुंह से सीत्कार निकले तो उसे तसल्ली देते हुए घर्षण की रफ़्तार बढ़ा दें, यही समय स्त्री-पुरुष के लिए क्लाइमेक्स (चरम सुख) का होता है। ध्यान रहे, सेक्स के समय स्खलित होने के बाद पुरुष को एक थके हुए खिलाड़ी की तरह एक दम अलग नहीं होना चाहिए, बल्कि आलिंगन, चुंबन एवं बातचीत का सिलसिला बनाए रखना चाहिए। जिससे आपको भी स्त्री के होंठों पर संतुष्टि व तृप्ति की मुस्कराहट निश्चित तौर पर दिखाई देगी।
हमारा आपको यह सब समझाने का मकसद यही है कि सेक्स सिर्फ कमर के नीचे नहीं होता, बल्कि यह तो स्त्री और पुरुष के बीच प्यार तथा समर्पण का तालमेल बनाए रखने की वह प्राकृतिक जरुरत होती है, जिसमें सम्पूर्ण विवाहित जीवन के लिए पति-पत्नी के मधुर रिश्तों में मिठास व मजबूती बनी रहती है