आमतौर पर 40 साल से अधिक के पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने की समस्या देखी जाती है, लेकिन इस बारे में जानकारी सभी के लिए उपयोगी है, क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो 40 साल या इससे अधिक की उम्र के पुरुषों जैसे कि पिता, चाचा, भाई, पुत्र, दोस्त, पड़ोसी या सहकर्मी इत्यादि को ना जानता हो।
प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में एक जोड़ी गुर्दे होते हैं। गुर्दों का काम कचरे को हटाना होता है। एक तरह से यह आपके शरीर में बेकार प्रबंधन कंपनी की तरह होते हैं। हर दिन आपका रक्त फ़िल्टर होने के लिए गुर्दों से होकर गुजरता है। रक्त के फ़िल्टर होने से मूत्र बनता है और वह मूत्र एक अस्थायी स्टोरेज टैंक में इकठ्ठा किया जाता है, जिसे मूत्राशय कहा जाता है। यदि शरीर में मूत्राशय न हो तो आदमी सड़क पर चलते हुए ही मूत्र बहाता चले।
मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के इर्द-गिर्द एक छोटा सा अंग होता है, जिसे प्रोस्टेट ग्रंथि कहा जाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि एक अखरोट के आकर की होती है और इसका वजन लगभग 12 से 18 ग्राम होता है। इसका काम वीर्य का तरल पदार्थ बनाना होता है, जो सेमिनल वेसीकल में जमा होता है। संभोग के दौरान वीर्य का तरल पदार्थ मूत्रमार्ग के नीचे आता है और वीर्य बनाने के लिए अंडकोष में पैदा होने वाले शुक्राणुओं के साथ मिलता है। तो वीर्य तकनीकी रूप से केवल शुक्राणु नहीं है, बल्कि यह शुक्राणु+वीर्य का तरल पदार्थ है। वीर्य का तरल पदार्थ शुक्राणुओं को चिकनाई प्रदान करता है।
40 वर्ष की आयु के बाद कुछ हार्मोनल कारणों से प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना शुरू हो जाता है। 18 ग्राम वजन से यह लगभग 120 ग्राम तक बढ़ सकती है। जैसे-जैसे यह बड़ी होती जाती है, मूत्रमार्ग को सिकोड़ती जाती है जिसके परिणाम स्वरुप पुरुष मूत्र विसर्जन के तरीके में बदलाव को महसूस करना शुरू कर देता है। पेशाब करने और निवृत होने के बाद भी मूत्र उसकी पेंट में बूंद-बूंद निकलता रहता है। यही कारण है कि एक बड़ी उम्र का पुरुष बार-बार पेशाब जाने के लिए मजबूर होता है। इस स्थिति में आपको मूत्र प्रवाह शुरू होने के लिए सामान्य से अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पेशाब नली में दो वाल्व होते हैं आंतरिक और बाहरी स्फिंक्टर जो पेशाब करने के दौरान खुलने चाहिए। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने पर ये दोनों वाल्व खुलते तो हैं लेकिन मूत्रमार्ग में रुकावट के कारण आपको प्रवाह के शुरू होने के लिए अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
इस स्थिति में व्यक्ति को महसूस होता है कि पेशाब करने के बाद भी उसे पेशाब पूरी तरह से नहीं आया है। जैसे-जैसे ये सभी चीजें होती है, मूत्राशय मूत्रमार्ग में रुकावट की क्षतिपूर्ति करने के लिए ज्यादा मेहनत करना शुरू कर देता है। इससे थोड़ी-थोड़ी पेशाब आने लगता है। कभी कभी तो स्थिति ये हो जाती है कि व्यक्ति को शौचालय में दौड़कर भी जाना पड़ता है। ऐसे में नोक्टूरिया यानी निशामेह की स्थिति भी आम हो जाती है। इसमें व्यक्ति को पेशाब करने के लिए रात में 2 से अधिक बार उठना पड़ता है और वह गहरी नींद भी नहीं ले पाता। इस समस्या पर व्यक्ति किसी से खुलकर बात भी करना पसंद नहीं करते है। इस वजह से समस्या और अधिक गंभीर होती जाती है।
इकठ्ठा हुआ पेशाब संक्रमित हो जाता है और पेशाब करते समय जलन भी हो सकती है। इकठ्ठा हुआ मूत्र क्रिस्टल बनाने लगता है जो मूत्राशय या गुर्दे में पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी मूत्रमार्ग को बाधित कर सकती है।
40 वर्ष के बाद व्यक्ति अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर अपने खान पान में पौषक तत्वों का ज्यादा सेवन करें। हरी सब्जियों और फलों का अधिक सेवन करें। दूध कम मात्रा में पियें। हर तरह के नशों और धूम्रपान से दूर रहें। नित्यप्रति जॉगिंग और व्यायाम करें। प्रोस्टेट होने पर साइकिल बिलकुल न चलाएं। नियमित रूप से सेक्स करना प्रोस्टेट के लिए अच्छा रहता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने की समस्या होने की ज्यादा संभावना रहती है। चिकित्सा विज्ञान के लिहाज से यह माकूल नहीं है।