पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या (Prostate problem) आजकल एक आम बात हो गयी है। आइये जानते हैं प्रोस्टेट के बारे में। प्रत्येक मनुष्य के शरीर में एक जोड़ी गुर्दे होते हैं। गुर्दों (Kidney) का काम शरीर के कचरे को हटाना होता है। एक तरह से यह आपके शरीर में बेकार प्रबंधन कंपनी की तरह होते हैं। हर दिन आपका रक्त फ़िल्टर होने के लिए गुर्दों से होकर गुजरता है। रक्त के फ़िल्टर होने से रक्त बनता है और वह मूत्र एक अस्थायी स्टोरेज टैंक में इकठ्ठा किया जाता है जिसे मूत्राशय(Urinary bladder) कहा जाता है। यदि शरीर में मूत्राशय न हो तो आदमी सड़क पर चलते हुए ही मूत्र बहाता हुए चले। ईश्वर ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए हमारे मूत्राशय से लिंग(Penis) के सिरे तक पाइप को पहुंचाया है। इस पाइप को मूत्रमार्ग कहा जाता है। मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के इर्द-गिर्द एक छोटा सा अंग होता है जिसे प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland) कहा जाता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि एक अखरोट के आकर की होती है और इसका वजन लगभग 12 से 18 ग्राम होता है। इसका काम वीर्य (Semen) का तरल पदार्थ बनाना होता है, जो सेमिनल वेसीकल में जमा होता है। संभोग (Intercourse) के दौरान वीर्य का तरल पदार्थ मूत्रमार्ग से नीचे आता है और वीर्य बनाने के लिए अंडकोष (Testiscle) में पैदा होने वाले शुक्राणुओं (Sperms) के साथ मिलता है तो वीर्य तकनिकी रूप से केवल शुक्राणु नहीं है, बल्कि यह शुक्राणु व वीर्य का तरल पदार्थ है। यही तरल पदार्थ शुक्राणुओं को चिकनाई प्रदान करता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद कुछ हार्मोनल कारणों से प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना शुरू हो जाता है। यह 18 ग्राम से लगभग 120 ग्राम वजन तक बढ़ सकती है। जैसे जैसे यह बड़ी होती जाती है मूत्रमार्ग को सिकोड़ती जाती है जिसके परिणाम स्वरुप मूत्र विसर्जन के तरीके में बदलाव को महसूस करना शुरू कर देता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने से पुरुष यह महसूस करते हैं कि पेशाब करने के बाद भी मूत्र उनकी पेंट में बूंद बूंद गिर रहा है। यही कारण है कि एक बड़ी उम्र का पुरुष बार-बार पेशाब जाने के लिए मजबूर होता है। इस स्थिति में मूत्र प्रवाह शुरू होने के लिए सामान्य से अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पेशाब करने के दौरान आंतरिक व बाहरी स्फिंक्टर वाल्व खुलने चाहिए। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने पर ये दोनों वॉल्व खुलते तो हैं लेकिन मूत्रमार्ग में रुकावट के कारण आपको पेशाब के लिए अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
मूत्राशय मूत्रमार्ग में रूकावट की क्षतिपूर्ति करने के लिए ज्यादा मेहनत करना शुरू कर देता है। इससे थोड़ी-थोड़ी देर के बाद पेशाब आने लगता है। तब पेशाब करने की मजबूरी पैदा होने लगती है। कभी-कभी तो आपको शौचालय में दौड़कर भी जाना पड़ता है। आपको रात में पेशाब करने के लिए 3-4 बार या इससे ज्यादा बार उठना पड़ता है और आप गहरी नींद नहीं ले पाते हैं। ऐसे में आपकी पत्नी को भी आपसे शिकायत होने लगती है। पुरुष होने के नाते आप इस समस्या पर किसी से खुलकर बात भी करना पसंद नहीं करते हैं। इस वजह से समस्या और अधिक गंभीर हो जाती है।
इकठ्ठा हुआ पेशाब संक्रमित हो जाता है और पेशाब करते समय जलन भी हो सकती है। इकठ्ठा हुआ मूत्र क्रिस्टल बनाने लगता है। क्रिस्टल मिलकर मूत्राशय या गुर्दे में पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी मूत्रमार्ग को बाधित कर सकती है। तब गंभीर मूत्र समस्या पैदा हो जाती है। मूत्राशय में अधिक से अधिक मूत्र स्टोर होता जाता है। मूत्राशय का आकार 40 से 60 मिलीलीटर होता है। जैसा कि मूत्राशय में अधिक मूत्र जमा होता है, यह 300 मिलीलीटर से 3 लीटर तक बढ़ सकता है। एक जरुरत से ज्यादा भरा मूत्राशय लीक हो सकता है और इससे अपने आप पेशाब निकलने जैसी स्थिति पैदा होती है। इसके अलावा इकठ्ठा हुए मूत्र की ज्यादा मात्रा गुर्दों पर भी दबाव दाल सकती है और गुर्दे फेल हो सकते हैं।
इससे बचने के लिए आप धूम्रपान व् शराब का सेवन न करें। नियमित रूप से सेक्स करना प्रोस्टेट के लिए अच्छा रहता है। नियमित रूप से व्यायाम करें, यह मांसपेशियों को पुष्ट करने में मदद करता है। ज्यादा देर तक बैठे न रहें बीच में जितनी बार भी संभव हो टहलें।