धात रोग (Dhaat Rog) व्यक्ति के दिल-दिमाग की शक्ति को कमजोर करके शरीर को बेजान बना देता है। इस शिकायत में मल या मूत्र (Urine) के समय थोड़ा-सा भी जोर लगाने पर तुरंत इंद्री (Penis) के मुख से वीर्य (Semen) की बूंद टपकने लगती है या लार निकलने लगती है। यह शिकायत उन्हीं लोगों को ज्यादा होती है जिनका वीर्य किसी-न-किसी कारण से काफी पतला बन चुका होता है और इंद्री की नसें भी कमजोर व ढीली पड़ चुकी होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में इंद्री की नसों में पतले वीर्य को रोकने की शक्ति नहीं रहती और थोड़ा-सा भी दबाव पड़ने से वीर्य की बूंदें टपकने लगती है। जब यह शिकायत चरम स्थिति में पहुंच जाती है तो व्यक्ति को काम-शरीर (Around groin area) व् पिंडलियों (Calf muscles) में दर्द महसूस होने लगता है। उठते बैठते चक्कर-कमजोरी की अनुभूति होती है जिससे वह अपना रोजाना का काम-काज भी चुस्ती-फुर्ती से नहीं कर पाता।
ऐसी हालत में वह इधर-उधर के भ्रामक विज्ञापन पढ़कर ताकत-जवानी वाले किसी क्लिनिक या दवाखाने में जाता है तो वहां उसे बिना सोचे-समझे कुछ बाजारू उत्तेजक दवाई दे दी जाती है। उसकी वास्तविक कमजोरी का कारण जानने की कोई कोशिश नहीं करता। धातु रोग का असली इलाज वही होता है, जो पहले वीर्य की बर्बादी को रोके और ताकत को शरीर में संभालने की क्षमता पैदा करे, उसके बाद ही ताकत बढ़ेगी। हमारे सही-सटीक, असली नुस्खों वाले असरदार व गुणकारी इलाज से इस रोग से कमजोर हुए अनेकों रोगी भाई पूरी तरह से ठीक होकर मनचाही मौज-मस्ती व तंदुरुस्ती से अपना जीवन सुखमय बिता रहे हैं।