मानव शरीर के होंठ या मुंह किसी बुरी चीज को स्वीकार नहीं करते। स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के होंठों या शरीर के किसी भी अंग को होंठों द्वारा उसी दशा में स्पर्श करते हैं जब वह स्वच्छ एवं सुंदर नजर आता है। स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के जिस अंग को सुंदर और स्वच्छ देखते हैं, उसी को बार-बार तथा देर तक चूमते हैं। अतः स्त्री-पुरुष अपने प्रत्येक अंग को इतना सुंदर स्वच्छ एवं आकर्षक बनाकर रखें जिससे उन्हें अपने साथी के होंठों का भरपूर प्यार और प्रगाढ़ चुंबन प्राप्त हो सके। चुंबन करने योग्य प्रमुख अंग नाभि, स्तन, सीना, गला, कंधे, ठोड़ी, होंठ, गाल, आंखे और मस्तक आदि होते हैं। कुछ स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के गुप्तांगो को चूमकर भी विशेष आनंद का अनुभव करते हैं। यदि गुप्तांगों की सफाई ठीक से की जाय तो स्त्री और पुरुष द्वारा इनके चुंबनों का आदान-प्रदान करने में कोई बुराई नहीं है।

कुछ स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के होंठों के चुम्बन से कतराते हैं क्योंकि वे जूठन से परहेज करते हैं।  उनकी सोच यह होती है कि इससे मुखरस या थूक एक-दूसरे के मुंह में चला जाएगा। कुछ स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के होंठों का चुंबन इसलिए नहीं करते क्योंकि उनके जीवन साथी के होंठ स्वच्छ एवं आकर्षक नहीं होते। यह विचार एकदम गलत है। ऐसा विचार रखने वालों को सहवास क्रिया का कोई अधिकार नहीं है। यहां एक सवाल यह पैदा होता है कि आखिर ऐसे साथी का सहवास क्रिया के लिए चुनाव क्यों किया गया जबकि शारीरिक संबंध यौन भावनाओं पर निर्भर होता है।

यदि कोई स्त्री या उसके अंग किसी पुरुष को अथवा कोई पुरुष या उसके अंग किसी स्त्री को पसंद नहीं है तो आपसी यौन संबंध बनाने की दिशा में कदम कैसे बढे। स्पष्ट है कि स्त्री-पुरुष में एक-दूसरे के प्रति उपेक्षा की भावना होने पर यौन संबंध का कोई आनंद नहीं मिलता। ऐसी स्थिति केवल वासना की दृष्टि से वेश्यावृति या बलात्कार आदि में ही उत्पन्न होती है।