सुहागरात का हर स्त्री-पुरुष के विवाहित जीवन में एक अत्यंत महत्पूर्ण स्थान होता है क्योंकि इसकी याद उन्हें वृद्धावस्था में भी गुदगुदाने वाली होती है। जब भी किसी युवक-युवती की शादी तय होती है तो आमतौर पर उनके दिल में शादी के बारे में अनेकों कल्पनाएं जाग्रत होने लगती है क्योंकि शादी के बाद पति-पत्नी का प्रथम मिलन अर्थात सुहागरात उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ लाने वाली होती है। इसी रात को युवक पूर्ण पुरुषत्व प्राप्त करता है तथा युवती स्त्री बन जाती है। शादी से पहले उनके द्वारा बनाई गई अनेकों कल्पनाएं उसी रात को साक्षात रूप लेती है क्योंकि पुरुष के सामने पूरी तरह सजी धजी पत्नी के रूप में स्त्री होती है। वह उसे स्पर्श कर सकता है , उसका आलिंगन कर सकता है, चुम्बन ले सकता है तथा वह सब कर सकता है जिसके बारे में पुरुष शादी से पहले कल्पना ही किया करता था। स्त्री के शरीर के बारे में जानने की आमतौर पर हर पुरुष इच्छा रखता है और इस इच्छा का अंत सुहागरात के दिन ही होता है, क्योंकि उस रात उसके सामने से स्त्री शरीर के रहस्य के सारे परदे हट जाते हैं तथा स्त्री भी जो शादी से पहले अपने किसी पुरुष के छूने तक से बचती है वह उस रात पत्नी के रूप में अपने आपको पुरुष के आगे समर्पित कर देती है। सुहागरात जहाँ एक तरफ स्त्री-पुरुष को रोमांचित करने वाली होती है वहीं यह रात उनके लिए परीक्षा की घडी भी होती है क्योंकि सहवास के बारे में अपूर्ण ज्ञान, प्रथम मिलन के बारे में रोमांच और उस रोमांच में छिपा भय आदि भी स्त्री- पुरुष दोनों के मन में कुछ भावनात्मक विचार पैदा कर देते हैं कि क्या होगा ? और कैसे होगा ? यही सोचकर कुछ पुरुष अपने आपको सुहागरात में असफल घोषित कर लेते हैं। चूँकि सुहागरात में होने वाले सहवास का कर्ता पुरुष ही होता है तथा सफल व असफल परिणाम भी उसे ही मिलता है जबकि स्त्री के सामने ऐसी कोई बात नहीं होती क्योंकि उसे तो केवल अपना शरीर समर्पित करना होता है। अतः सुहागरात के बारे में हम कुछ ऐसी बातें पाठकों को बता रहे हैं जिससे वे सुहागरात में असफलता की संभावनाओं को कम कर सकें।
1. सुहागरात में जल्दबाजी एवं जोर आजमाइश न करे : सुहागरात का मतलब विवाह के बाद स्त्री-पुरुषों के बीच सेक्स-संबंधों की शुरुआत होना है। यही वह रात होती है जब पुरुष पत्नी के रूप में स्त्री को पूरी तरह प्राप्त करता है। लेकिन कुछ पुरुष इतने जल्दबाज होते हैं कि वे बिना समय गवाएं तथा नव विवाहिता पत्नी की भावनाओं को समझे बिना शारीरिक संबंध बनाने के लिए उतावले हो उठते हैं। जबकि नवविवाहिता के रूप में स्त्री अपना घर-बार छोड़कर पहली बार पति के घर अर्थात ससुराल आती है तथा उसके मन में नये लोगों के बीच आकर एक तरह की जानी -अनजानी घबराहट भी भरी होती है। यदि ऐसी स्थिति में उसके साथ उसकी भावनाओं को नजर अंदाज करके सहवास किया जाए तो स्त्री को लगता है कि उसके साथ बलात्कार हो रहा है जिसे वह काफी लम्बे समय तक भूल नहीं पाती, इतना ही नहीं उसके मन में जो सुहागरात के प्रति उमंग व् आनंददायक कल्पनाएं होती हैं वह उसके सुख से भी वंचित हो जाती है इसलिए पुरुषों को चाहिए की वे सुहागरात में शारीरिक संबंध बनाने की जल्दबाजी न करें बल्कि कमरे में आकर पहले उससे हल्की-फुल्की बातें करें। वह बातें कुछ अपने बारे में भी हो सकती हैं, व उसके बारे में भी जिससे स्त्री डर व घबराहट की स्थिति से बाहर निकल कर आप की बातों का कुछ-कुछ जवाब देने लगेगी। जब वह भी बातों का जवाब देने लगे तो पुरुष को चाहिए कि वह स्त्री का हाथ अपने हाथ में लेकर धीरे से आलिंगन करे तथा उसका चुंबन करे। ऐसा करने से स्त्री का शरीर आनंद से मिश्रित रोमांच से भरने लगेगा। इसी तरह कुछ समय उसके साथ प्राक क्रीड़ा (फोर प्ले) आरंभ करें जिसमें आलिंगन, चुंबन एवं स्तन मर्दन हो। जब स्त्री मानसिक व शारीरिक रूप से सहवास के लिए तैयार हो तभी सहवास करें।
2 सुहागरात को शराब से दूर रखें : कुछ पुरुषों के धारणा होती है कि यदि शराब पीकर सुहागरात मनाई जाय तो आनंद अधिक आता है, जबकि यह विचारधारा एकदम गलत है। यदि कोई व्यक्ति शादी से पहले कभी-कभी शराब लेता भी हो तो भी सुहागरात में शराब पीकर पत्नी के सम्मुख नहीं जाना चाहिए क्योंकि शराब का नशा व्यक्ति के विवेक को छीन लेता है। अतः सुहागरात में नशे से दूर रहें और पत्नी के साथ पूरे होश व उल्लास के साथ इस हसीन रात का आनंद उठायें।
3 शारीरिक छेड़ छाड़ ज्यादा न करें : यूं तो पुरुष के लिए स्त्री का शरीर हमेशा से उत्सुकता का विषय रहा है क्योंकि वह किसी भी सुंदर स्त्री को देखकर कल्पना में क्या से क्या कर जाता है लेकिन जब सुहागरात को पुरुष को पत्नी के रूप में स्त्री मिल जाती है तो वह स्त्री के संपूर्ण शरीर के रहस्य को जानने के लिए अत्यंत उतावला होकर शीघ्र ही पत्नी को वस्त्रों से अलग करना शुरू कर देता है तथा उसमें उत्तेजना का ज्वार भी तेजी से उमड़ जाता है अतः ऐसी स्थिति में पुरुष को उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए जिससे वह सहवास करने लायक न रहे और उससे पूर्व ही स्खलित हो जाए। अतः सुहागरात को पुरुष द्वारा अधिक छेड़छाड़ से बचना चाहिए तथा स्त्री से भी अपने उत्तेजित अंग से छेड़छाड़ करने का आग्रह नहीं करना चाहिए।
4 सुहागरात को रूढ़िवादी भ्रांति में न उलझें : स्त्री योनि को एक पतली झिल्ली ढके रहती है जिसे कौमार्य झिल्ली कहा जाता है। सहवास के समय शिशन प्रवेश होते ही यह झिल्ली फट जाती है जिससे स्त्री को मामूली से दर्द का भी अहसास होता है तथा योनि से कुछ ब्लड भी निकलता है। कुछ मामलों में सुहागरात में किसी स्त्री के ब्लड नहीं निकलता है तो पुरुष यह मान लेते हैं कि उसकी पत्नी ने जरूर विवाह पूर्व किसी अन्य पुरुष से शारीरक संबंध बनाये होंगे, जबकि ऐसी सोच व धारणा रूढ़िवादिता कहलाती है क्योंकि कई बार ऐसा भी आता है कि खेलकूद के समय, गिरने या चोट लगने से यह झिल्ली बचपन में या युवावस्था में शादी से पहले ही फट जाती है। अतः सुहागरात को खून न निकलने का अर्थ यह कदापि नहीं लगाना चाहिए कि पत्नी पहले ही किसी के साथ सहवास कर चुकी है। यह रूढ़िवादी भ्रम विवाहित जीवन में जहर घोलकर उसे नरक बना देता है।
5 आपस के पूर्व संबंधों को भुला दें : आज के वातावरण में अक्सर कुछ युवक एवं युवतियां प्रेम-प्यार के चक्कर में पड़ जाते हैं, अतः सुहागरात के समय भूलकर भी अपने इन संबंधों की चर्चा अपनी पत्नी से न करें और न ही उससे पूछें। क्योंकि इस बारे में हल्की फुल्की बात भी दिलों की गांठ बन जाती है जिससे विवाहित जीवन में कटुता एवं अविश्वास की नीव पड़ सकती है जो किसी भी हालत में आपके लिए सुखद नहीं मानी जा सकती। अतः बीते हुए कल को भूलकर सुहागरात में नए जीवन का प्रारंभ करें।